इश्क़ दर्द और मेरी शायरी ''कवि अपर्णेय'' इश्क़ दर्द और मेरी शायरी ''कवि अपर्णेय''
बुने किस्मत ने जो जाले,उन्हीं जालों में उलझा हूँ कहूँ अब किस तरह तेरे, ख्यालों में ही उलझा हूँ कभी ख... बुने किस्मत ने जो जाले,उन्हीं जालों में उलझा हूँ कहूँ अब किस तरह तेरे, ख्यालों म...
मैं एक कवि कवि ने खुद को ही प्रस्तुत किया है कविता के घर में पनाह माँगते हुए मैं एक कवि कवि ने खुद को ही प्रस्तुत किया है कविता के घर में पनाह माँगते हुए